आज महाशिवरात्रि है। महाशिवरात्रि और महादेव के जन्म से लेकर, उनके विवाह की कई रोचक कथाएं, हम सुनते आए हैं। लेकिन शिव हैं क्या। शिव पुराण के वो, आग के खंभे से प्रकट महादेव या विष्णु के माथे के तेज से उत्पन्न अवतार, या फिर ब्रह्मा के पुत्र। आदि, अंत, प्रकाश या फिर अंधकार, क्या शिव की व्याख्या संभव है। शिव वो केंद्र है, जिसमें से सब कुछ पैदा हुआ है और अंत में उसी में समा जाता है। या यूं कहें कि हर चीज का शुरू और अंत, शिव हैं। दादी और मां के साथ, अक्सर मंदिर जाना होता था। वो कई देवी-देवताओं की कहानियां सुनाती थीं। महादेव के बारे में भी- कि एक ऐसा योगी था, जिसके गले में नाग था, सिर पर चांद था और कैसे उस योगी ने, एक राजा की बेटी से शादी की थी। हर साल, एक दिन ऐसा आता था, जब उस योगी महादेव की पूजा की जाती थी। वो दिन महाशिवरात्रि का था, यानी शिव की रात। एक स्पेशल तरीके से उनकी पूजा-अर्चना किया करते थे। शिव के मंदिरों में लोगों की भीड़ में, लंबी कतारों में भक्त उनके दर्शन के लिए खड़े मिलते। पूजा के साथ-साथ, दादी और मां की देखादेखी में, मैं भी व्रत कर लिया करती थी। हां, इसका एक सीक्रेट यह भी था कि दादी ने कहा था कि शिव का व्रत करने से पार्टनर शिव की तरह बहुत अच्छा मिलेगा।
आज एक बार, फिर महाशिवरात्रि का दिन लौटा है उन खास लम्हों के साथ। हर चंद्र मास का चौदहवाँ दिन या यूं कहें कि अमावस्या से पहले जो दिन होता है, उसे शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। वैसे तो, हर महीने मासिक शिवरात्रि आती है, लेकिन फरवरी-मार्च में होने वाली महाशिवरात्रि खास है। इस दिन से जुड़े साइंटिफिक फैक्ट्स की बात करें, तो शिवरात्रि महीने की सबसे ज्यादा अंधेरी रात होती है। और हम अंधेरे के इसी शून्य यानी शिव की अराधना करते हैं। साधना की दृष्टि से माना जाता है कि इस दिन आध्यात्मिक उर्जा अपने चरम पर होती है, और मनुष्य के अंदर की ऊर्जा आकाश की ओर जाती है। यह एक ऐसा दिन है, जब पूरी प्रकृति, हमारे आसपास का वातावरण हमें आध्यात्मिकता के शिखर तक जाने में मदद करता है। इस दिन से कई प्राचीन कथाएं जुड़ी हैं। बताया जाता है। कि इस दिन भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने हेतु हलाहल को ग्रहण किया था और पूरी सृष्टि को इस भयंकर विष से मुक्त किया था। एक अन्य कथा के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे, जो ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था। ऐसा शिवलिंग जिसका ना तो आदि था और न अंत। वहीं विष्णु पुराण बताता है कि शिव, भगवान विष्णु के माथे के तेज से निकले थे। महाशिवरात्रि को पूरी रात शिवभक्त अपने आराध्य का जागरण करते हैं। इस शुभ दिन पर, भगवान शिव और पार्वती मां का विवाह हुआ था। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था।
एक ओर, शिव को महाकाल कहा जाता है यानी एक संहारक, और दूसरी ओर करुणामयी भोले शंभुनाथ। भगवान शिव सर्व व्यापी हैं। हमारी आत्मा में और शिव में कोई अंतर नहीं है। इसीलिए “शिवोहम यानी मैं शिव स्वरुप हूँ का जाप किया जाता है। शिव सत्य के, सौंदर्य के और अनंत के प्रतीक हैं। अच्छा, शिव के ऊपर खड़ी काली का चित्र, आप लोगों ने भी देखा होगा। दरअसल वो, जिंदगी पर हमारी जीत, महारथ और लीडरशिप का प्रतीक है, जो दिखाता है कि आप अपनी जिंदगी के रूलर बन कर, कुछ भी कर सकते हैं। हम सभी का अपने-अपने जीवन पर अधिकार है, हम हमेशा यह बात दोहराते भी हैं। हम अपनी मर्जी से जिंदगी जीने की कोशिश करते हैं, वो करते हैं, जो हमें पसंद है और जो सबसे बेहतर कर सकते हैं। और सबसे बेहतर तरीके से जिंदगी को हैंडल करना यानी उस पर, महारत पाने वाले ही महारथी बनते हैं। महाशिवरात्रि में महादेव की पूजा का अर्थ, मन की उस स्टेबिलिटी को पाकर इस अनंत स्वरूप के साथ जुड़ना है। पहले योगी और पहले गुरु हैं- शिव। विराट और शून्य हैं- शिव। आज महा शिवरात्रि के पावन अवसर पर, द रेवोल्यूशन- देशभक्त हिंदुस्तानी आपको और आपके सभी प्रियजनों को शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं देता है। उम्मीद करते हैं कि शिव की दिव्यता और महिमा, सभी को अपनी क्षमताओं की याद दिलाए। और आज का यह शुभ दिन, आत्मजागृति का रास्ता बने। महाशिवरात्रि की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।